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अगर पुलिस FIR नहीं लिख रही तो क्या करना चाहिए ,156(3)crpc

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  अगर पुलिस FIR नहीं लिख रही तो क्या करना चाहिए  आज हम आपको बहुत महत्वपूर्ण जानकारी देंगे। पिछले कुछ समय के दौरान ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं, जब पुलिस अधिकारियों ने नागरिकों के प्राथमिक सूचना रिपोर्ट अर्थात FIR दाखिल करने से इनकार कर दिया है और वे इसके लिए कई कारणों का हवाला देते हैं, जो वास्तव में कई बार संदेहास्पद भी होते हैं। लेकिन आम नागरिक FIR दर्ज कराने से संबंधित अपने अधिकारों की सही जानकारी के अभाव में मन मसोसकर रह जाते हैं और बिना FIR दर्ज कराए ही रह जाते हैं। अतः आम नागरिकों को सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से इस लेख में हम पुलिस द्वारा FIR न लिखे जाने पर आम नागरिकों द्वारा उठाए जाने वाले आवश्यक कदमों की जानकरी दे रहे हैं। सबसे पहले यह जान लें कि अपराध कितने प्रकार के होते हैं।   अपराध दो तरह के होते हैं-  1. संज्ञेय एवं  2. असंज्ञेय अपराध।   (1). संज्ञेय अपराध:- दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 154 के अनुसार वे अपराध जो गंभीर प्रकृति के होते है एवं ऐसे अपराध में पुलिस अधिकारी बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकता हैं,ऐसे मामलों में पुलिस को FIR लिखन...

आईपीसी धारा 151 क्या है। | धारा 151 में सजा और जमानत।

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  आईपीसी (IPC) धारा 151 दोस्तों क्या आप जानते है कि शांतिभंग की आशंका क्या होती है? भारतीय दंड संहिता में क्या यह एक अपराध है और अगर अपराध है तो कैसे इसको अपराध के श्रेणी में माना जायेगा | आज हम इसी को जानने  का प्रयास करेंगे | आपको आज IPC (आईपीसी) की धारा 151 क्या है यह कब और किन कंडीशन में अप्लाई होती है इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी इस पेज पर मिलेगी | इस IPC की धारा 151 में सजा और जमानत (BAIL) के क्या प्रावधान है, इन सब बातो पर भी विस्तार से चर्चा करेंगे | धारा 151 का प्रयोग पुलिस जन सामान्य को नियंत्रित करने के दौरान सबसे ज्यादा करती है। धारा 151 के तहत पुलिस द्वारा गिरफ्तार आरोपी को थाने से ही जमानत का प्रावधान होता है https://smileyou93.blogspot.com/2021/05/blog-post.html  कभी-कभी इस धारा के तहत गांव के गांव मजिस्ट्रेट के सामने भेज दिए जाते हैं। इस धारा के तहत पुलिस द्वारा गिरफ्तार आरोपी को थाने से ही जमानत का प्रावधान होता है। यह एक ऐसा मनमाना प्रावधान है, जिसके तहत अपराध हुआ नहीं और पुलिस के मुताबिक ये कहा जाता है कि 'अपराध किया जा सकता था'। इस प्रावधान के चलते ...

FIR

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  एफआईआर (FIR ) एक साधारण और आम शब्द है। आम जीवन में पुलिस और उससे जुड़े शब्द एफआईआर को काफी सुना जाता है। अपराध विधि में आम और दैनिक जीवन में सर्वाधिक चर्चाओं में रहने वाला शब्द एफआईआर ही है। इस आलेख के माध्यम से एफआईआर पर विस्तारपूर्वक चर्चा की जा रही है।  FIR शब्द दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 154 से निकल कर आता है, जिसका पूरा नाम फर्स्ट इनफॉर्मेशन रिपोर्ट है। हिंदी में इसे प्राथमिकी भी कहा जाता है। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 154 के अंतर्गत इसे संज्ञेय मामलों की इत्तिला कहा गया है। दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत अपराधों को दो प्रकार में बांटा गया है, संज्ञेय और असंज्ञेय । इसके आधार पर ही संज्ञेय अपराधों की रिपोर्ट के लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 154 को रखा गया है। प्रथम सूचना रिपोर्ट को अन्वेषण का प्रारंभिक चरण माना जाता है। कोई भी पुलिस अधिकारी जो किसी मामले में अन्वेषण करने की शक्ति रखता है वह अपना अन्वेषण प्रारंभ करने के पूर्व एफआईआर दर्ज करता है। यदि पुलिस FIR नही लिखे तब क्या करें? ऐसा आपने बहुत बार देखा होगा या बहुत बार सुना होगा बहुत सी न्यूज़ आती है कि किसी भी...

चरित्र प्रमाण पत्र

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चरित्र प्रमाण पत्र कैरेक्टर सर्टिफिकेट आपके चरित्र का एक प्रमाण है। चरित्र प्रमाण पत्र एक ऐसा महत्वपूर्ण दस्तावेज है जिससे यह पता चलता है कि उस व्यक्ति का पहले किसी भी जगह कोई भी बुरा बर्ताव या बुरा रिकॉर्ड न रहा हो या वो किसी भी क़ानूनी मसलो में उसका नाम दर्ज, या उससे कोई अपराध न किया गया हो। यह चरित्र प्रमाण पत्र पुलिस अधिकारी या किसी अन्य गवर्नमेंट अथॉरिटी द्वारा जारी किया जाता है। इसे पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट भी कहा जाता है। अर्थात चरित्र प्रमाण पत्र एक आधिकारिक दस्तावेज है। जो हमारे व्यवहार और चरित्र को प्रमाणित करता है। इससे यह भी प्रमाणित हो जाता है की हमारा आचरण समाज में किस प्रकार का है |इस प्रमाण पत्र में  हमारे चरित्र की व्यक्तित्व जानकारी प्रमाणित होती है | ◆ चरित्र प्रमाण पत्र की आवश्यकता चरित्र प्रमाण पत्र तब बनवाया जाता है जब आपको किसी भी गवर्नमेंट डिपार्टमेंट में नौकरी चाहिए या स्कूल व कॉलेज में एडमिशन के समय इसे माँगा जाता है। अगर आपको शिक्षा ग्रहण करने के लिए विदेश जाना होगा या आपको पासपोर्ट बनवाना है इसके लिए यह जरुरी माँगा जाता है। अर्थात चरित्र प्रमाण पत्र ...

हैसियत प्रमाण पत्र

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  दोस्तो आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से हैसियत प्रमाण पत्र के बारे में बात करेंगें इसकी जानकारी आप ऑनलाइन भी प्राप्त कर सकते है।आपको यहाँ पर यह जानकारी  भी प्राप्त कर सकते है की आप घर बैठे हैसियत प्रमाण पत्र कैसे बनवा सकते हैं । लेकिन अब उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ जी ने हैसियत प्रमाण पत्र बनबाने की प्रक्रिया को ऑनलाइन भी शुरू कर दिया है। हैसियत प्रमाण पत्र   हैसियत प्रमाण पत्र एक ऐसा पत्र है, जो किसी भी नागरिक की संपत्ति की जानकारी रखने के लिए बनावाया जाता है | सामान्य भाषा मे हम कह सकते है कि  हैसियत प्रमाण पत्र एक ऐसा दस्तावेज है जिसके द्वारा व्यक्ति की आर्थिक स्थिति या मजबूती की जानकारी मिलती है।हैसियत प्रमाण पत्र के माध्यम से ही सरकारी विभाग उस नागरिक की संपत्ति की पूरी जानकारी प्राप्त करते हैं , जो उसे प्रमाण पत्र देते है | हैसियत प्रमाण पत्र क्यो आवश्यक है   हैसियत प्रमाण पत्र का इस्तेमाल कुछ सरकारी कार्यो में  किया जाता है, क्योंकि जब कोई सरकारी ठेका, किसी तरह का कोई सरकारी टेंडर के काम की शुरुआत करता हैं तो वह सबसे पहले सरकार से  हैसि...

Sell deed (बैनामा)

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             हेलो दोस्तों आज का हमारा टॉपिक है बैनामा आज हम सेल डीड अर्थात बैनामा के बारे में विस्तार से जानेंगे की बैनामा होता क्या है और इसे ऑनलाइन देखने की क्या प्रक्रिया है वह पत्र या दस्तावेज जिसमें किसी वस्तु विशेषतः मकान या जमीन, जायदाद आदि के बेचने और उससे संबंध रखनेवाली शर्तों का उल्लेख होता है। वह विक्रय-पत्र होता है।असल मे प्रॉपर्टी के लेनदेन में बिक्रीनामा एक अहम दस्तावेज होता है, जिसे कन्वेयंस डीड भी कहा जाता है। कानूनी दस्तावेज होने के अलावा यह एक सबूत है कि विक्रेता ने प्रॉपर्टी खरीददार के नाम कर दी है। इससे यह भी साबित होता है कि खरीददार ही प्रॉपर्टी का असली मालिक है। इसे ओर भी कई नमो से  भी बुलाते हैं जैसे कि बैनामा, सेल डीड, रजिस्ट्री, बिक्री पत्र आदि। उत्तर प्रदेश का स्टाम्प व रजिस्ट्री विभाग ने रजिस्ट्री या बैनामे को लेकर अपने कई नियमों बड़ा बदलाव किया है। विभाग अब प्रदेश में स्थित किसी भी भू-सम्पत्ति की रजिस्ट्री की कई पन्नों की नकल नहीं देगा। बल्कि उसके बजाए केवल एक पन्ने का प्रमाण पत्र जारी करेगा। रजिस्ट्री से संबंधित इस प्...

दाखिल खारिज MUTATION

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  H ello, दोस्तो आज का हमारा विषय है दाखिल ख़ारिज यानी म्युटेशन आज हम इसके विषय मे विस्तार से जानेंगे वास्तव में यदि हम दाखिल खारिज को शब्दशः समझे तो दाखिल अर्थात दर्ज करना तथा ख़ारिज अर्थात निरस्त करना अर्थात किसी संपत्ति से विक्रेता के नाम को निरस्त कर क्रेता के नाम को दर्ज करने की प्रक्रिया को दाखिल ख़ारिज कहते है। सामान्य भाषा मे  कहा जाये तो दाखिल ख़ारिज या Mutation राजस्व रिकॉर्ड में एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को किसी संपत्ति का हस्तांतरण करने की प्रक्रिया है। संपत्ति का Dakhil Kharij कराना बहुत जरूरी होता है क्योंकि इसके बाद ही कानूनी रूप से उस जमीन का क्रेता स्वामी बन पाता है। दाखिल ख़ारिज के बाद ही किसी संपत्ति के मालिक के रूप में किसी व्यक्ति का नाम रिकॉर्ड में आता है। दाखिल ख़ारिज कराना क्यों आवश्यक है Mutation कराना अर्थात किसी जमीन को अपने नाम दर्ज करने से है तो यदि दाखिल ख़ारिज नहीं होता है तो उस जमीन पर क्रेता का कोई हक़ नहीं होगा, विक्रेता चाहे तो दुबारा उस जमीन को बेच सकता है, इसलिए जमीन की रजिस्ट्री करने के बाद उस जमीन का दाखिल ख़ारिज अवश्य करा लेना चाहिए। इसके अलावा...