दाखिल खारिज MUTATION

 



Hello, दोस्तो आज का हमारा विषय है दाखिल ख़ारिज यानी म्युटेशन आज हम इसके विषय मे विस्तार से जानेंगे

वास्तव में यदि हम दाखिल खारिज को शब्दशः समझे तो दाखिल अर्थात दर्ज करना तथा ख़ारिज अर्थात निरस्त करना अर्थात किसी संपत्ति से विक्रेता के नाम को निरस्त कर क्रेता के नाम को दर्ज करने की प्रक्रिया को दाखिल ख़ारिज कहते है।


सामान्य भाषा मे  कहा जाये तो दाखिल ख़ारिज या Mutation राजस्व रिकॉर्ड में एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को किसी संपत्ति का हस्तांतरण करने की प्रक्रिया है। संपत्ति का Dakhil Kharij कराना बहुत जरूरी होता है क्योंकि इसके बाद ही कानूनी रूप से उस जमीन का क्रेता स्वामी बन पाता है। दाखिल ख़ारिज के बाद ही किसी संपत्ति के मालिक के रूप में किसी व्यक्ति का नाम रिकॉर्ड में आता है।


दाखिल ख़ारिज कराना क्यों आवश्यक है

Mutation कराना अर्थात किसी जमीन को अपने नाम दर्ज करने से है तो यदि दाखिल ख़ारिज नहीं होता है तो उस जमीन पर क्रेता का कोई हक़ नहीं होगा, विक्रेता चाहे तो दुबारा उस जमीन को बेच सकता है, इसलिए जमीन की रजिस्ट्री करने के बाद उस जमीन का दाखिल ख़ारिज अवश्य करा लेना चाहिए।

इसके अलावा दूसरी गौर करने वाली बात यह है की यदि आप किसी जमीन को खरीदते है अर्थात रजिस्ट्री कराते है और दाखिल ख़ारिज नहीं कराते है तो उस जमीन को आप बेच नहीं सकते है अर्थात उस जमीन को आप तबतक नही बेच सकते जबतक की आप दाखिल ख़ारिज नहीं करते, किसी भी जमीन को खरीदने के बाद दाखिल ख़ारिज जरूर कराना चाहिए।इस प्रक्रिया के बिना कोई भी व्‍यक्ति अपनी भूमि का पूर्णं रूप से स्‍वामी नहीं बन सकता है। भारत जैसे देश में कृषि भूमि अथवा आवासीय भूमि का हस्‍तांतरण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी की ओर जाता है।

मान लीजिये कि आपके पास ऐसी जमीन है। जिसे आपके पिता ने खरीदा था। लेकिन अब उनकी मृत्‍यु हो चुकी है। ऐसी स्थिति में आपके लिये उस जमीन का Dakhil Kharij करवाना बहुत जरूरी होगा।



दाखिल खारिज कितने दिन में होता है?7

राजस्व संहिता के अनुसार सामान्य स्थिति में 45 दिनों में खारिज-दाखिल करने और यदी  कोई आपत्ति है तो  90 में इसका निस्तारण करने की व्यवस्था है।


दाखिल खारिज की फीस 

प्रॉपर्टी म्यूटेशन की फीस आमतौर पर 25 रुपये से 100 रुपये के बीच होती है.


Mutation की प्रक्रिया किस विभाग के जरिये की जाती है

दाखिल खारिज (Mutation) की पूरी प्रक्रिया देश के सभी राज्‍यों में राजस्‍व कार्यालयों (तहसीलदार) स्‍तर पर पूरी की जाती है। यदि आप भूमि का दाखिल खारिज कराना चाहते हैं तो आपको अपने यहाँ के तहसीलदार के कार्यालय में जाकर अर्जी देनी होगी।


प्रॉपर्टी म्यूटेशन से जुड़ी जरूरी आवश्यक बाते

-जो लोग जमीन खरीदते हैं या फिर प्रॉपर्टी वसीयत या बतौर गिफ्ट डीड मिलती है, उनके लिए प्रॉपर्टी म्यूटेशन अनिवार्य है.


-आपके इलाके का म्युनिसिपल/तहसीलदार दफ्तर, जो जमीन से जुड़े रिकॉर्ड्स रखता है, वहां म्यूटेशन की प्रक्रिया पूरी की जाती है.


-प्रॉपर्टी म्यूटेशन के लिए अप्लाई करने को लेकर कुछ राज्यों ने ऑनलाइन सर्विसेज भी लॉन्च की है.जिनमे से उत्तर प्रदेश भी एक है।

 उत्तर प्रदेश में जमीन बैनामे के बाद अब दाखिल खारिज कराना और आसान हो गया है। दाखिल खारिज कराने के लिए लोगों को भागदौड़ नहीं करनी पड़ेगी। अब कोई भी घर बैठे दाखिल खारिज कराने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकेगा। आयुक्त व सचिव राजस्व परिषद मनीषा त्रिघाटिया ने नई व्यवस्था के संबंध में आदेश जारी किये हैं। आदेश में कहा गया है कि इस कवायद का मकसद दाखिल खारिज प्रक्रिया का सरलीकरण करना है।



राजस्व परिषद ने दाखिल खारिज की प्रक्रिया से निबंधन कार्यालय व सम्बंधित पीठासीन अधिकारी के न्यायालय को लिंक किया गया है। इस पक्रिया के तहत अब निबंधन कार्यालय रजिस्ट्री के समय ही सम्बंधित पक्षों से नामांतरण, दाखिल-खारिज के लिए रजिस्ट्री व प्रार्थना पत्र आरसीसीएमएस प्रणाली पर अपलोड करने पर खुद ही नामांतरण वाद दायर हो जाएगा। इसके अलावा आवेदनकर्ता को भी इसके लिए अप्लाई करने की सुविधा दी गई है।



ऐसे करें ऑनलाइन आवेदन

दाखिल खारिज के लिए आवेदन करने के लिए वेबसाइट Http://Vaad.Up.Nic.In क्लिक करें। क्लिक करते ही राजस्व न्यायालय कंप्यूटरीकृत प्रबंधन प्रणाली उत्तर प्रदेश के मुख्य पृष्ठ पर आ जाएगे। नामांतरण दाखिल-खारिज के लिए उप्र राजस्व संहिता की धारा-34 के तहत ऑनलाइन आवेदन के लिए क्लिक करें। अपना मोबाइल नंबर डालें। ओटीपी डालकर लॉगिन पर क्लिक करें। इसके बाद रजिस्ट्री संख्या व इसकी तारीख भरकर सबमिट करें। ऐसा करते ही आवेदन रजिस्ट्री व बैनामा का पूरा विवरण दिखने लगेगा। प्रिंट निकाल लें। इसके बाद जिम्मेदारी पीठासीन अधिकारी की होगी। वह तय समय में नियमानुसार इसे निस्तारित करेगा।



प्रॉपर्टी म्यूटेशन के लिए किन दस्तावेजों की होगी जरूरत

दाखिल खारिज की प्रक्रिया को पूरी करने के लिए जरूरी दस्तावेजों की मांग हर राज्य में अलग-अलग हो सकती है लेकि निम्नलिखित दस्ताबेजो कि जरूरत प्रत्येक राज्य में होती है। जिन्हें खरीदार को म्यूटेशन कराने के लिए जमा करना होगा.


-सही से भरा गया म्यूटेशन एप्लिकेशन फॉर्म.


-टाइटल/सेल डीड की कॉपी


-स्टैंप पेपर्स पर एफिडेविट


-क्षतिपूर्ति बॉन्ड


-आधार कार्ड की कॉपी


-प्रॉपर्टी टैक्स की रसीद


-वसीयत की कॉपी, उत्तराधिकार प्रमाण पत्र  या मालिक का डेथ सर्टिफिकेट (अगर लागू होता है तो)

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प्रॉपर्टी म्यूटेशन की क्या फीस है

प्रॉपर्टी और लैंड म्यूटेशन के लिए राज्य मामूली फीस वसूलते हैं. यह 25 से 100 रुपये के बीच हो सकता है, जो अलग अलग राज्यों में अलग अलग हो सकती है।


 खरीदार द्वारा प्रॉपर्टी म्यूटेशन को पूरा करने के लिए कोई समयसीमा है

हालांकि जमीन के खरीदारों को म्यूटेशन की प्रक्रिया को तुरंत पूरा कर देना चाहिए. वहीं फ्लैट्स और अपार्टमेंट्स के खरीदार अपनी सहूलियत के हिसाब से इसे करा सकते हैं. लेकिन इस काम को जितना जल्दी हो सके करा देना चाहिए ।



वास्तव में भूमि हस्‍तांतरण के कानूनी टूर के जरिये ही कोई व्‍यक्ति संपत्ति का मालिक बनने में सक्षम हो पाता है। आपने सुना होगा कि कभी कभी सरकार के द्धारा भूमि का अर्जन भी किया जाता है।अब ऐसी परिस्थिति में उस व्‍यक्ति को ही मुआवजे की रकम प्राप्‍त होती है। जिसका नाम Dakhil Kharij की प्रक्रिया के तहत Land Record में दर्ज होता है।क्योकि वह ही मूल स्वामी होता है अतः यदि आप को जमीन खरीदते है तो उसका म्यूटेशन कराना बहेद जरूरी है ताकि भविष्य में आपको कोर्ट कचहरी के चक्कर न लगना पड़े।

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